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शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ सरकार का सबसे बड़ा एक्शन! 22 आबकारी अफसर सस्पेंड
रायपुर: छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। वर्षों से जांच की आंच में तपते इस घोटाले में जैसे ही कोर्ट में चालान पेश हुआ, सरकार ने 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इस कार्रवाई से नौकरशाही में हड़कंप मच गया है और आम जनता में सरकार के रुख को लेकर कड़े संदेश गए हैं।राज्य शासन की ओर से जारी आदेश में निलंबित अधिकारियों की सूची में कई वरिष्ठ नाम शामिल हैं। इनमें जिला आबकारी अधिकारी मोहित कुमार जायसवाल, गरीबपाल सिंह दर्दी, इकबाल अहमद खान, जनार्दन सिंह कौरव नितिन कुमार खंडूजा जैसे अफसर शामिल हैं। वहीं, सहायक आबकारी आयुक्त स्तर के प्रमोद कुमार नेताम, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, राजेश जायसवाल, मंजुश्री कसेर, दिनकर वासनिक, आशीष कोसम, सौरभ बख्शी प्रकाश पाल, रामकृष्ण मिश्रा, अलेख राम सिदार और सोनल नेताम को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर शराब व्यापार में भ्रष्टाचार को प्रश्रय दिया और करोड़ों की हेराफेरी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई। शासन ने सख्त भाषा में कहा है कि ऐसे किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा जिसने इस संगठित अपराध को बढ़ावा दिया।
2161 करोड़ का खेल: जड़ में है सत्ता, सिस्टम और सिंडिकेट
यह घोटाला पहली बार 2022 में तब सामने आया था जब आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया कि छत्तीसगढ़ में अवैध शराब कारोबार का एक संगठित नेटवर्क चल रहा है। याचिका में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और मुख्यमंत्री सचिवालय की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया सहित अन्य नामजद किए गए थे। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि शराब बिक्री के लिए बनाई गई सरकारी एजेंसी CSMCL का उपयोग कर घोटाले को अंजाम दिया गया। आरोप है कि 2019 में अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का प्रबंध संचालक नियुक्त करवाया और यहीं से ‘सिस्टम’ की लूट का खेल शुरू हुआ।
ED की चार्जशीट से खुला राज!
ईडी ने अब तक कोर्ट में चार चार्जशीट दाखिल की हैं, जिनमें तीन पूरक अभियोग पत्र भी शामिल हैं। इन दस्तावेजों में साफ कहा गया है कि कैसे अनवर ढेबर का आपराधिक सिंडिकेट अधिकारियों, व्यापारियों और राजनीतिक रसूखदारों के गठजोड़ से 2161 करोड़ की अवैध वसूली को अंजाम देता रहा। यह भी बताया गया कि शराब की खपत और बिक्री के बीच का बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया, और नकली बिलिंग से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया।
जनता में गुस्सा, सरकार पर बढ़ा दबाव
जैसे-जैसे घोटाले की परतें खुल रही हैं, वैसे-वैसे आम जनता में रोष बढ़ रहा है। रायपुर से लेकर कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग तक जनता सवाल पूछ रही है – आखिर इतने बड़े घोटाले के पीछे और कौन-कौन हैं? क्या केवल अफसरों पर कार्रवाई पर्याप्त है या इसके पीछे छिपे ‘बड़े हाथों’ तक भी जांच पहुंचेगी? सरकार ने इस गुस्से को भांपते हुए स्पष्ट किया है कि अब कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न रहा हो। मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, आने वाले दिनों में इस मामले में और भी गिरफ्तारी संभव है और केंद्रीय एजेंसियों से भी मदद ली जा सकती है।
अब आगे क्या
चूंकि मामला बहुस्तरीय और अंतरराज्यीय आर्थिक लेन-देन से जुड़ा है, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इसकी जांच CBI को भी सौंपी जा सकती है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से अभी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि CBI या ED की संयुक्त टीम आगामी चरण में जांच को आगे बढ़ा सकती है।
बहरहाल छत्तीसगढ़ का यह शराब घोटाला न सिर्फ एक आर्थिक अपराध है, बल्कि यह बताता है कि किस तरह सत्ता, प्रशासन और अपराध जब एक साथ आते हैं तो जनता की गाढ़ी कमाई कैसे लूटी जाती है। फिलहाल सरकार की कार्रवाई स्वागत योग्य है, लेकिन अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह कार्रवाई सिर्फ ‘मोहरों’ तक सीमित रहेगी या ‘बाजियों’ को भी घेरने की हिम्मत दिखाई जाएगी?