गरियाबंद. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पीएम आवास योजना के तहत बनाए जा रहे मकानों की फर्जी जियो टैगिंग कर गलत रिपोर्ट देने का मामला सामने आया है. देवभोग और मैनपुर जनपद क्षेत्र में मैदानी कर्मियों ने कई अधूरे मकानों का काम पूरा दिखाकर ऑनलाइन जियो टैगिंग कर दी. दरअसल, बीते 15 दिनों में 1366 आवासों को पूर्ण बताया गया, जबकि इनमे से 400 से ज्यादा आवासों की स्थिति पर संदेहास्पद है.
जिसकी छत की ढलाई नहीं हुई उसे भी पूर्ण बताया
झाखरपारा के सुंदरसिंह, दहीगांव के परमेश्वर सिंह जैसे इस तिथि के बाद पूर्ण बताए गए 20 से ज्यादा हितग्राही के आवास की छत की ढलाई तक नहीं हुई पर इनके आवास को 15 मई तक पूर्ण बताया कर ऑनलाइन जियो टैग कर दिया गया. दहीगांव के यादराम का मकान तो डोर लेबल तक भी नहीं पहुंचा पर उसकी तस्वीर दूसरे के मकान में खड़ा कर पूर्ण दर्शाया गया है, जिससे प्रशासन को गुमराह किया जा सके.
एक ही मकान, दो हितग्राही
जांच में सामने आया है कि एक ही मकान को दो हितग्राहियों के नाम पर दिखाया गया. उदाहरण के तौर पर पुरनापानी गांव में चूमन लाल और जय सिंह की जियो टैगिंग एक ही आवास में की गई. ऐसा करीब 30 हितग्राहियों के रिपोर्ट में दर्शाया. इसी तरह, झाखरपारा में भी एक मकान को अलग-अलग एंगल से फोटो लेकर दो अलग हितग्राहियों का बताया गया. पिछले 15 दिनों के प्रगति बताने वाले ज्यादातर रिपोर्ट में इसी तरह से पर्दा डालने का काम किया गया है.
कार्रवाई से बचने आंकड़ों में हेराफेरी
सीएम के सख्त निर्देश के बाद, जिला प्रशासन ने आवास प्रगति पर निगरानी बढ़ा दी थी. शो-कॉज नोटिस के डर से कई मैदानी कर्मचारियों ने प्रगति की बोगस रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत की. रिपोर्ट के अनुसार, 1 मई को देवभोग ब्लॉक में 2700 मकान अप्रारंभ थे, जो 15 मई तक घटकर 2157 हो गए. वहीं पूर्ण आवास 1200 से बढ़कर 1658 हो गए. द्वितीय और तृतीय किश्त जारी आंकड़ों में भी इजाफा हुआ. मगर जमीनी हकीकत इससे अलग है.