कौन हैं राजस्थान की बतूल बेगम, जिन्हें मिला पद्मश्री अवार्ड; मुस्लिम होकर गाती हैं भगवान के भजन

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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश में दिए जाने वाले नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई। केंद्र सरकार की तरफ से जारी सूची में देश के अलग-अलग राज्यों की उन गुमनाम हस्तियों के नाम हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में पूरी तन्मयता से काम करते हुए देश की सेवा की है। इस लिस्ट में राजस्थान के नागौर की रहने वाली मुस्लिम भजन व मांड गायिका बतूल बेगम (उम्र- 68 साल) का भी नाम शामिल है, जिन्हें पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की गई है। इन्हें भजनों की बेगम भी कहा जाता है।

यहां तक कि मुस्लिम समुदाय से होने के बाद भी उन्होंने गणपति और राम भजन गाते हुए रूढ़िवादिता को तोड़ा। बतूल बेगम ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं। उन्होंने सिर्फ 5वीं तक की शिक्षा हासिल की है, लेकिन इसके बाद भी अपनी कला के दम पर देश-विदेश में नाम कमाया है।

उनकी शादी भी बेहद कम उम्र में हो गई थी। उनकी शादी 16 साल की उम्र में हो गई थी। पति रोडवेज में कंडक्टर थे। शादी के बाद तीन बेटे हुए, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के बाद भी गायन को नहीं छोड़ा।

उन्होंने ‘बॉलीवुड क्लेजमर’ (अंतर्राष्ट्रीय फ्यूजन लोक संगीत बैंड जिसमें विभिन्न धर्मों के कलाकार विभिन्न संस्कृतियों के फ्यूजन पारंपरिक संगीत को प्रस्तुत करते हैं) के माध्यम से उन्होंने साम्प्रदायिक सद्भाव और संस्कृति को बढ़ावा दिया। साल 2021 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार भी मिला था। इसके अलावा उन्हें कई विदेशी सरकारों से भी सम्मान मिल चुका है।

गायन कला में निपुण होने के साथ ही साथ वह ढोल, ढोलक और तबला जैसे पारम्परिक वाद्ययंत्रों को भी बजाने में बेहद कुशल हैं। वे आधुनिक विचारों की समर्थक हैं और बालिका शिक्षा के लिए जमकर पैरवी करती हैं। वे ऐसी मुस्लिम मांड और भजन गायिका हैं, जो कि पिछले 5 दशकों से लोगों के बीच आपसी सद्भावना और सौहार्द्र को बढ़ावा दे रही हैं।

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